जिस प्रकार इस ब्रह्माण्ड का न कोई शुरुआत है और न ही अंत | ठीक उसी प्रकार भगवान् शिव अनादि है यानि की पूरा ब्रह्माण्ड भगवान् शिव में समाया हुआ है ऐसे में आज हम bhagwan shiv ke naam और भगवान् शिव के अवतार के बारे में व्याख्यान करेंगे |
जब दुनिया में कुछ नहीं था तब भी शिव थे और जब इस दुनिया का अंत होगा तब भी शिव रहेंगे | जिस वजह से भगवान् शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है अर्थात समय | शिव के इस स्वरुप के द्वारा इस ब्रह्माण्ड का भरण पोषण होता है और इसी में पूर्ण सृष्टि का आधार टिका है |

bhagwan shiv ke naam
भगवान् शिव को उनके अवतार के अनुसार अनेक नामो से जाना जाता है – रावण , शनि , कश्यप ऋषि आदि शिव के परम् भक्त है क्युकी भगवान् शिव सभी को सामान दृष्टि से देखते है इसी वजह से भगवान् शिव के कई नामो से इनके भक्त जानते है –
- भोलेनाथ
- शंकर
- महेश
- रूद्र
- शिव
- महादेव
- नीलकंठ
- गंगाधर
- काल भैरव
- अर्धनारीश्वर
- नटराज
- पशुपतिनाथ
- लिंगम
- त्रिनेत्र
भगवान् शिव के अनेक नामो में ये मुख्य नाम है |
भगवान शिव के अन्य नामो के अर्थ
- रूद्र – रूद्र अवतार यानि की जो दुखो का निर्माण और नाश करता है |
- महादेव – देवो के देवता यानि की महादेव , महादेव का अर्थ महान ईश्वरीय शक्ति |
- लिंगम – लिंगम पुरे ब्रह्माण्ड का प्रतीक |
- नटराज – नटराज को नृत्य का देवता मानते है क्युकी भगवान शिव तांडव नृत्य के प्रेमी है
- शिव – शिव शब्द का अर्थ शुभ , स्वाभाविक , दयालु , उदार , मैत्रीपूर्ण होता है |
- त्रिनेत्र – तीन आँखों वाले भगावन
- अर्धनारीश्वर – शिव और शक्ति के मिलन से अर्धनारीश्वर नाम से प्रचलित हुए | (आधा शरीर पुरुष का और आधा नारी का )
- महाकाल – महाकाल यानि की समय के देवता , भगवान् शिव का एक स्वरुप ब्रह्माण्ड में समय के सभी आयाम को नियंत्रित करता है
- गंगाधर – जिन्होंने गंगा को धारण किया हो , भगवान शिव के जटा से गंगा निकली है जिस वजह से गंगाधर से भी प्रचलित है |
- नीलकंठ – भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है क्युकी इन्होने समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था तो इन्होने इनका सेवन करके सभी मानव जाति को इस विष के प्रकोप से बचाया था जिस वजह से विष के सेवन करने से उनका गला नीला हो गया और तब से इन्हे नीलकंठ के नाम से जाना जाता है |
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bhagwan shiv ke kitne avatar hai
भगवान शिव ने इस ब्रह्माण्ड में कई अवतार लिए है जिनका व्याख्यान शिव पुराण में विस्तार से किया गया है लेकिन भगवान् शिव के कुछ प्रमुख अवतार के बारे में व्याख्यान करेंगे |
भगवान शिव के नंदी-गण
- नंदी
- श्रृंगी
- भृंगी
- रिटी
- टुंडी
- नंदिकेश्वर
- बेताल
- पिसाच
- तोतला
- भूतनाथ
भगवान् शिव के 8 मूर्ति
- चन्द्रमूर्ति – महादेव
- जलमूर्ति – भव
- तेजमूर्ति – रूद्र
- वायुमूर्ति – उग्र
- पृथ्वीमूर्ति – शर्व
- सूर्यमूर्ति – ईशान
- अग्निमूर्ति – पशुपति
- आकाशमूर्ति – भीम
भगवान् शिव के ज्योतिर्लिंग
ज्योतिर्लिंग | स्थान |
सोमनाथ | सोमनाथ मंदिर , सौराष्ट्र क्षेत्र , गुजरात |
मल्लिक्कार्जुन | कृष्णा जिला , आँध्रप्रदेश |
महाकालेश्वर | महाकाल , उज्जैन |
ॐकारेश्वर | नर्मदा नदी के द्वीप , मध्यप्रदेश |
केदारनाथ | उत्तराखंड |
भीमाशंकर | महाराष्ट्र , मुंबई |
काशी विश्वनाथ | वाराणसी , उत्तर प्रदेश |
श्री त्र्यम्बकेश्वर | निकट नासिक, महाराष्ट्र |
बैद्यनाथ | देवघर , झारखण्ड |
नागेश्वर | गुजरात |
रामेश्वर | तमिलनाडु |
घृष्णेश्वर | औरंगाबाद जिला , महाराष्ट्र |
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तो ये थी पोस्ट भगवान शिव के बारे में जिसमे हमने भगवान् शिव के कई नामो के बारे में जाना और भगवान् शिव ने मानव जाति की रक्षा के लिए कई अवतार लिए है जिसका भी व्याख्यान इस पोस्ट में हमने किये अगर आपको भगवान शिव के बारे में और कुछ जानना हो तो नीचे पूछ सकते है |
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