मकर सक्रांति हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार में एक है जो की साल का पहला त्यौहार है तो आज हम जानेगे की makar sankranti kyo manai jati hai और इस त्यौहार को मनाने का क्या महत्त्व है और इस त्यौहार के मनाये जाने की क्या वजह है तो चलिए जानते है मकर सक्रांति के बारे में –

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Makar Sankranti Kyo Manai Jati Hai
हिन्दू धर्म में सूर्य देवता से जुड़े कई त्यौहार मनाया जाता है उन्हीं में एक त्यौहार मनाया जाता है जिसका नाम है मकर सक्रांति | तो चलिए जानते है की मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है ?
मकर सक्रांति मनाने के पीछे की वजह शीत ऋतू के पौष महीने में जब सूर्य देवता उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते है तो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर सक्रांति के रूप में पुरे भारत वर्ष में मनाया जाता है |
मकर संक्राति कब मनाया जाता है ?
मकर सक्रांति क्यों मनाया जाता है आपने जान लिया है अब जानते है मकर सक्रांति कब मनाया जाता है वैसे तो कई साल से मकर सक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती थी लेकिन कुछ सालो से कुछ गणना में परिवर्तन को वजह से अब 15 जनवरी को मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है |
मकर संक्राति के मनाने के पीछे क्या वजह है ?
मकर सक्रांति के मनाने के पीछे की वजह यह है की सूर्य देवता जब उत्तरायण से मकर में प्रवेश करते है तो इस तरह मकर राशि में प्रवेश करने को मकर सक्रांति के रूप में मनाया जाता है |
मकर संक्राति के दिन खिचड़ी क्यों मनाई जाती है ?
मकर सक्रांति के दिन लोग अपने घरो में खिचड़ी गुड़ वाली और लाई गुड़ वाली और तिल अपने घरो में बनाते है क्युकी ठंडी में गुड़ वाली चीज़े खाने से ठंडी में मदद करती है | जिस वजह से लोग अपने घरो में खिचड़ी बनाते है |
मकर संक्राति 2023 का शुभ महूर्त क्या है ?
मकर सक्रांति 2023 में 15 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा |
मकर संक्रांति का महत्त्व
जब सूर्य देवता एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते है तो इससे सक्रांति कहा जाता है शास्त्रों में मकर सक्रांति के दिन स्नान करने और सूर्य देवता का ध्यान करने और दान देना चाहिए इससे आपके घर में सुख , समृद्धि और शांत प्रिय माहौल बना रहता है जिस वजह से मकर सक्रांति का अपना अलग महत्व रहता है |
भारत वर्ष में कई जगह लोग कई देव नदी , गंगा , सरयू जैसे नदिओं में नहाने भी जाते है |
क्युकी ऐसा माना जाता है की इस दिन किया गया दान 100 गुना दान के बराबर होता है और इस दिन शुद्ध घी और कम्बल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है |और इस दिन एक भीष्म पितामह ने अपने देह का त्याग करने के लिए मकर सक्रांति का दिन चुना था |
मकर संक्राति की शुरुआत कब से हुई ?
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश मिश्रा के अनुसार 14 जनवरी 1902 को मकर सक्रांति पहली बार मनाई गयी थी | तब से लेकर आज तक इस त्यौहार को पुरे भारत वर्ष में हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है और पतंगबाजी का आयोजन भी होता है |
मकर संक्रांति पर पतंग क्यों उड़ाई जाती है ?
मकर सक्रांति के दिन पंतंग इसलिए उड़ाई जाती है क्यों की पतंग एक “प्रेम ” का सन्देश देती है और पतंग खुले आसमान में उड़ती है जिस वजह से इससे आजादी , ख़ुशी और प्रेम का प्रतीक माना जाता है जिस वजह से इस त्यौहार को पुरे भारत वर्ष में पतंग उड़ाने की परम्परा है जिससे की देश में एक शांति , आजादी और प्रेम का संकेत जाये |
और ऐसा कहा जाता है की पतंग उड़ने से दिमाग संतुलित और मन प्रसन्न रहता है जिससे आप अंदर से अच्छा महसूस करते है इस त्यौहार पर आप आसमान में अनेक पतंग उड़ते देख सकते है और इस दिन कही कही पतंग बाजी की प्रतियोगिता भी होती है जिसमे बच्चे , जवान सभी लोग इसमें भाग लेते है और पतंगबाजी का आनंद लेते है |